जितनी निकल गई है उसकी छोड़ो

चलो
जितनी निकल गई है
उसकी छोड़ो
अब...........
अब से...
हर जाती सांस को मजे से जियो
दो, जो चाहते हो
प्यार!

कौन नहीं
दिल से........इच्छाओं से
बेबस
कौन नहीं लाचार

कौन नहीं चाहता
कि सब मिल जाए
अपना कहलाये
नहीं, बस चार दिनों के लिए नहीं
उधार

कौन नहीं चाहता
कि दुनिया पर राज करे
या सारी दुनिया उससे प्यार करे
यही तो है सार

कौन नहीं चाहता
कि जब वो निकले सरे बाजार
मिलें कदम-कदम दोस्त यार
असली या नकली
करें प्यार का इजहार


कौन नहीं चाहता कि
जी हल्का करने के लिए
मँहगी शराब की बोतल के साथ
एक अदद दोस्त भी हो
जो सारे गमों की महंगाई को
सहानुभूति के दो लफ्जों से मिटा दे

सिखा दे
कि मैं अकेला कभी भी नहीं हूं
कहीं भी नहीं नहीं हूं
न जंगलों रेगिस्तानों में भूखा मरता हुआ
न अत्याधुनिक आई सी यू में
नोटों से खरीदे साजो सामान में
सांस-सांस गिनता हुआ

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