मिलारेपा का एक गीत

सुनो मेरे उदास दोस्त
इकट्ठा हुए कर्ज और सूद को चुकाने के दर्द सा
सबको जाना है मौत तक
यमदूत आते और ले जाते हैं।
जब मृत्यु आती है
अमीर नहीं खरीद सकता जीवन पैसे देकर
योद्धा नहीं रोक सकते तलवार से
न चतुरों की चतुराई ही काम करती है
न सुन्दर महिलाओं का सौन्दर्य ही रोक पाता है मौत का रास्ता
और सारे सीखे सिखाए पढ़े लिखे लोग भी
अपने सारे शब्दजाल और वाकपटुता से
मृत्यु को स्थगित नहीं कर पाते
बद्किस्मत यहां रो भी नहीं पाते
और साहसियों का साहस काम नहीं आता

जब देह में सारी सारी नाड़ियां टूट पड़ती हैं
और दो शिखरों के बीच में टूटता है कुछ
सारी दृश्य और संवेदन क्षमता मंद होती जाती है
सारे पंडे पुजारी और दिव्य लोग अनुपयोगी हो जाते हैं
मरे व्यक्ति से कोई संवाद नहीं कर सकता
सारे सुरक्षा करने वाले प्रहरी और देवता भी छोड़ जाते हैं
सांस पूरी तरह रुक जाने तक
गंध रह जाती है मृत देहतंतुआंे की
जैसे अनघड़ कोयला ठंडी राख में
जब पहुंचता है कोई मृत्यु संधि पर

जब मरते हैं कोई तब भी गिनता है तारीखें और सितारे
कोई रोता चिल्लाता है और गिड़गिड़ाता है
कोई सोचता है सांसारिक अच्छाईयों के बारे में
कोई जीवन भर की अथाह मेहनत से कमाई जायदाद के बारे में
जो अब दूसरे उड़ायेंगे

जबकि गहरा प्यार, और महान करूणा हो तो भी
जाना पड़ता है अकेले ही
सारे अच्छे दोस्त और साथी
बस मृत्यु द्वार तक ही आते हैं छोड़ने
अपने मित्र की देह के गट्ठर के साथ

अच्छी तरह कपड़े में लिपटी ढंकी हुई
देह पानी या आग को समर्पित की जाती है
या सहज ही भूमिगत कर दी जाती है सुनसान इलाके में
ओ मेरे वफादार दोस्ता आखिरकार क्या बचता है?
कल ही जब हमारी सांसे रुक जायेंगी
कोई संपत्ति या जायदाद काम नहीं आयेगी
तो फिर क्यों क्या अर्थ है एक व्यक्ति की जिंदगी का
क्या अर्थ है सगे संबंधियों का
क्या बस मृत्यु शैया के अगल बगल घेरा बनाकर खड़े रहने के लिए
और जब कि कोई भी किसी तरह सहायक हो ही नहीं सकता
जब जानते हैं कि सब छूट जाना है
सब जानते हैं कि सारे रिश्ते नाते बंधन निष्फल हैं
अंत समय आने पर
केवल धर्म साथ देगा

तो क्यों न कोशिश करें
मरने की तैयारी करें
सुनिश्चित हो तैयार रहें
जब समय आये तो कोई भय न रहे
और न ही पछतावा