मानवीय शोचनीय और सोचनीय

शहरी काॅलोनियों में बच्चों के खेलने के लिए मैदान छोड़े जाते हैं। हमारे मोहल्ले में और आसपास के मोहल्लों में भी चैकोर खाली मैदान छूटे हुए हैं। इन्हीं में से एक मैदान में कुछ एक दरख्त लगे हुए हैं और मैदान के किनारों पर सीवेज चेम्बरों से गंदगी निरंतर बहते रहने से मैदान सीवेज मैदान हो गया था। वर्षों सहने के बाद कुछ बाशिंदे वहां के मैदान को कचरे और मिट्टी से भरवाने में सफल हो गये। इसी मैदान में अलसुबह से लेकर रात के झुरमुट तक एक परिवार बिखरा सा दिखता है। प्रौढ़ावस्था से वृद्धावस्था की ओर जाते एक गंदी जनाना और कचरा मर्द और उनका लड़का और लुगाई और अगली पीढ़ी के टंटूगने भी।
सारे परिजन चूंकि सुअरों, कुत्तों और मलमूत्र की संगत में रहते थे इसलिए भरपूर गंदे थे। मैं हालांकि धार्मिक शास्त्रानुसार इंसानों से नफरत नहीं करने की कोशिश करता हूं पर चूंकि वो मानवीय से इतर पशु और पशु से भी अगली अवस्था में प्रवेश को मचलते से दिखते थे सो नफरत का भाव तो जगता ही था।
सुना पिछले सोमवार यानि 2 फरवरी 2009 को मेहतर और मेहतरानी पक्का पिये होंगें। शाम का वक्त था मोहल्ले के अलसेशियन, पामेरियन, डाबरमेन पालकजन अपने पालतुओं को हवा खिलाने और हल्का करने के लिए लेकर घूम फिर रहे थे। महिलाएं भी फालतू की बातों के आश्रय स्थल ढूंढ रहीं थी। बच्चे खेल रहे थे। और मोहल्ले के कुत्ते भी मस्ती में इधर उधर उछल कूद रहे थे। हमारे घर के सामने की छोटी सी सड़क के चैराहे की ओर जाते मोड़ पर एक सीवेज चेम्बर पर मेहतर और मेहतरानी धुत्त अधलेटे बैठे थे। कंदर्प के बाणों से प्रभावित मेहतर के मन में जीवन की निरर्थकता और प्रेम के प्रताप की लहरें हिलोरे ले रही थीं शराब ने इन लहरों को और रंगीन कर दिया। पहले तो दो चेहरों की दुर्गुन्धयुक्त निकटता आलिंगनों में बदली फिर गंदे आलिंगन वीभत्स चुम्बनों से समृद्ध हुए और फिर बात बढ़ते बढ़ते मुद्दे पर आ गई। चरम अवस्था भी पहुंची और सब कुछ खुल्लम खुल्ला सब कुछ चैक चैराहे पर सब कुछ अबाल महिला वृद्ध सबके सामने सम्पन्न हुआ।
पहले पहल तो घटना देखने सुनने वाली ही थी। पर जो इससे मरहूम रह गये उनके लिए घटना शोचनीय, वर्णनीय और आदिरूप से सोचनीय है। कामतंत्र में उतरे मेहतरयुगल के आस पास ही महिलाएं कुत्ते घुमा रही थीं, बच्चे खेल रहे थे। क्या यह प्रश्न उठना चाहिए कि शरीफों के सभ्य मोहल्ले से किसी ने उन्हें भगाया क्यांे नहीं। प्रत्यक्षदर्शियों से ये भी सुना कि मोहल्ले के कुत्तों ने उनके इर्द गिर्द घेरा बना लिया था और घटना को बड़े ही विचित्र भाव से देख रहे थे कुछ बेबस कुत्तों की लार भी टपकती दिखी। मोहल्ले के बच्चे पूछ रहे थे कि इन स्त्री पुरुष में किस प्रकार की और लड़ाई क्यों हो रही है ।
4 फरवरी के अखबार में भारत के किसी शासकीय न्यायालय का निर्णय था कि रेलवे स्टेशन पर पकड़े गये एक प्रेमी युगल द्वारा सार्वजनिक रूप से सवस्त्र प्रेमालाप को अपराध नहीं माना जा सकता।