ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज दे कहीं से
मैं यहां टुकड़ों में जी रहा हूं
तू कहीं टुकड़ों में जी रही है
रोज रोज रेशम सी हवा आते जाते कहती है बता
रेशम सी हवा.... कहती है बता..
वो जो दूध धुली मासूम कली वो है कहां... कहां है?
वो रोशनी कहां है वो चांद सी कहां है
मैं अधूरा तू अधूरी जी रही हैं
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज दे कहीं से
मैं यहां टुकड़ों में जी रहा हूं
तू कहीं टुकड़ों में जी रही है
तू तो नहीं है लेकिन तेरी मुस्कुराहटे हैं
चेहरा कहीं नहीं है पर तेरी आहटे हैं
तू है कहां .. कहां है? तेरा निशां कहां है
मेरा जहां कहां है
मैं अधूरा तू अधूरी जी रही हैं
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज दे कहीं से
मैं यहां टुकड़ों में जी रहा हूं
तू कहीं टुकड़ों में जी रही है
Film : Dil Se
A Ajnabi in 1963
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Rajeysha
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चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूं दिल नवाजी की
न तुम मेरी तरफ देखो गलत अंदाज नजरों से
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाए मेरी बातों में
न जाहिर हो तुम्हारी कश्मकश का राज नजरों से
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से
मुझे भी लोग कहते हैं कि ये जलवे पराये हैं
मेरे हमराह भी रूसवाईयां है मेरे माजी की
तुम्हारे साथ भी गुजरी हुई रातों के साये हैं
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
तार्रूफ रोग हो जाए - तो उसको भूलना बेहतर
ताल्लुक बोझ बन जाए - तो उसको तोड़ना अच्छा
वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे इक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
फिल्म गुमराह (1963)
Audio Video: http://www.youtube.com/watch?v=cE5q9kst-Zc
न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूं दिल नवाजी की
न तुम मेरी तरफ देखो गलत अंदाज नजरों से
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाए मेरी बातों में
न जाहिर हो तुम्हारी कश्मकश का राज नजरों से
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से
मुझे भी लोग कहते हैं कि ये जलवे पराये हैं
मेरे हमराह भी रूसवाईयां है मेरे माजी की
तुम्हारे साथ भी गुजरी हुई रातों के साये हैं
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
तार्रूफ रोग हो जाए - तो उसको भूलना बेहतर
ताल्लुक बोझ बन जाए - तो उसको तोड़ना अच्छा
वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे इक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
फिल्म गुमराह (1963)
Audio Video: http://www.youtube.com/watch?v=cE5q9kst-Zc
A Old Ajnabi Song in new Way
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूं दिल नवाजी की
न तुम मेरी तरफ देखो गलत अंदाज नजरों से
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाए मेरी बातों में
न जाहिर हो तुम्हारी कश्मकश का राज नजरों से
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से
मुझे भी लोग कहते हैं कि ये जलवे पराये हैं
मेरे हमराह भी रूसवाईयां है मेरे माजी की
तुम्हारे साथ भी गुजरी हुई रातों के साये हैं
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
Hear : http://www.youtube.com/watch?v=nLCD9wk4Znw
Original : http://www.youtube.com/watch?v=cE5q9kst-Zc
न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूं दिल नवाजी की
न तुम मेरी तरफ देखो गलत अंदाज नजरों से
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाए मेरी बातों में
न जाहिर हो तुम्हारी कश्मकश का राज नजरों से
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से
मुझे भी लोग कहते हैं कि ये जलवे पराये हैं
मेरे हमराह भी रूसवाईयां है मेरे माजी की
तुम्हारे साथ भी गुजरी हुई रातों के साये हैं
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
Hear : http://www.youtube.com/watch?v=nLCD9wk4Znw
Original : http://www.youtube.com/watch?v=cE5q9kst-Zc
बीज की संभावनाएं
Posted by
Rajeysha
on Tuesday 19 May 2009
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खुद से ही अजनबी
पूछता हूँ दूजों से
जानना चाहता हूं दूजों से
कि मैं कौन हूं
और मैं ढूंढता हूं
लोगों के जवाबों मेें
कि मैं क्या हूं
मैं खुद से क्यों नहीं मिल लेता
आमने सामने
क्यों मैं बुनता हूं खुद ही
खुद से दुराव-छुपाव
क्यों किये जाते हैं ....
मिलने के लिए
किसी खुदा....
बिचैलियों, ख्यालों, सपनों के बहाने
क्यों हूं मैं,
अपनी ही आशाओं इच्छाओं का गुलाम?
क्यों बांध लिया है
मैंने खुद को
दूजों के छोड़े, दिये रस्सों से
क्यों खरीद ली हैं मैंनंे
अपनी लिये भांति भांति की जंजीरे
क्यों मुझे पता ही नहीं चलतीं
पिंजरे की सीमाएं
क्यों नहीं सूझता
बेड़ियों का भार
क्यों मेरे पंख
वक्त के गुलाम हो गये
क्यों परिधियों, व्यासों, त्रिज्याओं का गणित
मौत तक घसीटे ले जा रहा है
क्या मेरे सारे प्रश्न
दूजों के पढ़े हुए
कृत्रिम हैं
कविता हैं मनोरंजन हैं
खुद से छलावा हैं
या प्रश्नहीन है मेरी चेतना की धरती
आलस्य उन्माद का रेगिस्तान
खा चुका है मुझ बीज की संभावनाएं
पूछता हूँ दूजों से
जानना चाहता हूं दूजों से
कि मैं कौन हूं
और मैं ढूंढता हूं
लोगों के जवाबों मेें
कि मैं क्या हूं
मैं खुद से क्यों नहीं मिल लेता
आमने सामने
क्यों मैं बुनता हूं खुद ही
खुद से दुराव-छुपाव
क्यों किये जाते हैं ....
मिलने के लिए
किसी खुदा....
बिचैलियों, ख्यालों, सपनों के बहाने
क्यों हूं मैं,
अपनी ही आशाओं इच्छाओं का गुलाम?
क्यों बांध लिया है
मैंने खुद को
दूजों के छोड़े, दिये रस्सों से
क्यों खरीद ली हैं मैंनंे
अपनी लिये भांति भांति की जंजीरे
क्यों मुझे पता ही नहीं चलतीं
पिंजरे की सीमाएं
क्यों नहीं सूझता
बेड़ियों का भार
क्यों मेरे पंख
वक्त के गुलाम हो गये
क्यों परिधियों, व्यासों, त्रिज्याओं का गणित
मौत तक घसीटे ले जा रहा है
क्या मेरे सारे प्रश्न
दूजों के पढ़े हुए
कृत्रिम हैं
कविता हैं मनोरंजन हैं
खुद से छलावा हैं
या प्रश्नहीन है मेरी चेतना की धरती
आलस्य उन्माद का रेगिस्तान
खा चुका है मुझ बीज की संभावनाएं
Selected Hindi Jokes
Posted by
Rajeysha
on Wednesday 13 May 2009
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तूफान तेज़ी पर था। बडी हवेली की खिडकियां जोर-जोर से खड्खडा रही थी। एक बूडा नौकर मेहमान को शयनकक्ष की तरफ ले जा रहा था। रहस्यमय और भयानक वातावर्ण से डरे हुए मैहमान ने बूडे नौकर से पूछा, क्या इस कमरे मे कोई अप्रत्याशित घटना घटी है?"
"चालीस साल से तो नही।" नौकर ने जवाब दिया।
आशवस्त होते हुए मेहमान ने पूछा, " चालीस साल पहले क्या हुआ था?" बूडे नौकर के आखों मे चमक पैदा हुई और वह फुसफुसाते हुए बोला,
"एक आदमी सारी रात इस कमरे मे ठहरा था और सुबह बिल्कुल ठीक ठाक उठा
..................
सवाल - सरदारजीको कन्फ्यूज कैसे करे ?
जवाब - सिम्पल... उसे एक गोल कमरेमे ले जावो और एक कोने मे बैठनेके लिए कहो.
..................
एक व्यक्ति की अपने तोते से तबियत भर गई। उस ने उसे निलाम किया। बोली १०० रुपये पर छुटी।
खरीददार मुस्करार कहने लगा, "खैर, ले लेता हूं लेकिन इतना बतादें कि यह बोलेगा भी?"
" अजी, यही तो आपके खिलाफ बोली बडा रहा था!"
..................
चंद्रभानजी की पत्नी को मनोवैज्ञानिक ने परामर्श दिया- 'आज रात जब वे शराब पीकर आए, तो उनसे नरमी और प्रेम से पेश आना।
आपका मधुर आचरण ही उनकी लत छुड़ा सकता है।'
रात होने पर चंद्रभानजी लड़खड़ाते हुए घर आए।
पत्नी ने बड़े प्यार से उनका कोट, जूते और मोजे उतारे और बोली- 'डार्लिंग, आओ सो जाएँ।'
चंद्रभानजी ने जरा झूमते हुए कहा- 'हाँ-हाँ,
घर जाकर तो चिड़चिड़ी बीवी की गुर्राहट ही सुननी है।
.........................
रेलगाडी की बर्थ पर संदूक रख कर एक व्यक्ति बैठने लगा तो पास बैठी मोटी महिला बोली, " इसे यहां से हटा लो, कहीं मेरे उपर गिर गया तो?" यात्री लापरवाही से बोला, " कोई बात नही इस मे टूटने वाली कोई चीज नही है।"
..................
पत्नी अपने लिए बाज़ार से एक नई ड्रैस लेकर आई तो उस ड्रैस को देखकर पति गुस्से में बोला," यह तुम क्या पारदर्शी ड्रैस उठा लाई हो, इस मे तो आर- पार सब दिखाई देता है।" पत्नी मुस्कुराकर बोली, " आप भी बडे भोले हो, भला जब मैं इस ड्रैस को पहन लूंगी तो आर- पार क्या दिखाई देगा?"
..................
एक युवक अपनी प्रेमिका के लिए एक अंगूठी खरीदने के विचार से ज्यूलर के शोरुम मे गया। उसने शोकेस मे रखी अंगुठी के बारे मे पूछा, इस की क्या कीमत है?
पांच हजार रुपए, सेल्जमैन ने बताया।
इतनी अधिक कीमत सुन कर युवक के मुँह से सीटी निकल गई। फिर उसने एक अंगूठी की ओर इशारा करके पूछा, इसकी? दो सीटियां- उत्तर मिला ।
..................
दो दोस्त बाते कर रहे थे, उस मे से पहला बोला, कमाल है शादी के 25 सालो मे तुम्हारा एक बार भी अपनी पत्नी से झगडा नही हुआ, ऐसे कैसे हो सकता है।
दूसरा ऐसा ही है, दरसल शादी के दुसरे ही दिन हमने फैसला कर लिया था कि घर के सभी छोटे-छोटे फैसले वही करेगी और बडेबडे मै।
पहला- अच्छा,क्या इस मे भी कभी झगडा नही हुआ ?
पहला- नही, आज तक कोई बडा फैसला लेने की नौबत ही नही आई
..................
कम्पनी बाग मे कोने की एक बैंच पर बैठे प्रेमी प्रेमिका प्रेम वार्तालाप मे मग्न थे। एकाएक प्रेमिका ने स्वाल कर दिया," रमन सच-सच बताओ कि क्या तुम शादी के बाद भी मुझे इसी तरह प्यार करते रहोगे?" प्रेमी चहक कर बोला, "बल्कि इस से भी ज्यादा क्योकि शादी शुदा स्त्रियां मुझे पहले से ही बहुत पसंद रही है।
..................
मरते समय पति ने अपने पत्नी को सब कुछ सच बताना चाहा । उस ने कहा " मै तुम्हे जीवन भर धोखा देता रहा। सच तो यह है कि दर्जनो औरतों से मेरे नाजायज संबंध थे।"
पत्नी बोली, "मै भी सच बताना चाहूँगी । तुम बीमारी से नही मर रहे मैने तुम्हे धीरे-धीरे असर करने वाला जहर दिया है।
..................
"चालीस साल से तो नही।" नौकर ने जवाब दिया।
आशवस्त होते हुए मेहमान ने पूछा, " चालीस साल पहले क्या हुआ था?" बूडे नौकर के आखों मे चमक पैदा हुई और वह फुसफुसाते हुए बोला,
"एक आदमी सारी रात इस कमरे मे ठहरा था और सुबह बिल्कुल ठीक ठाक उठा
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सवाल - सरदारजीको कन्फ्यूज कैसे करे ?
जवाब - सिम्पल... उसे एक गोल कमरेमे ले जावो और एक कोने मे बैठनेके लिए कहो.
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एक व्यक्ति की अपने तोते से तबियत भर गई। उस ने उसे निलाम किया। बोली १०० रुपये पर छुटी।
खरीददार मुस्करार कहने लगा, "खैर, ले लेता हूं लेकिन इतना बतादें कि यह बोलेगा भी?"
" अजी, यही तो आपके खिलाफ बोली बडा रहा था!"
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चंद्रभानजी की पत्नी को मनोवैज्ञानिक ने परामर्श दिया- 'आज रात जब वे शराब पीकर आए, तो उनसे नरमी और प्रेम से पेश आना।
आपका मधुर आचरण ही उनकी लत छुड़ा सकता है।'
रात होने पर चंद्रभानजी लड़खड़ाते हुए घर आए।
पत्नी ने बड़े प्यार से उनका कोट, जूते और मोजे उतारे और बोली- 'डार्लिंग, आओ सो जाएँ।'
चंद्रभानजी ने जरा झूमते हुए कहा- 'हाँ-हाँ,
घर जाकर तो चिड़चिड़ी बीवी की गुर्राहट ही सुननी है।
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रेलगाडी की बर्थ पर संदूक रख कर एक व्यक्ति बैठने लगा तो पास बैठी मोटी महिला बोली, " इसे यहां से हटा लो, कहीं मेरे उपर गिर गया तो?" यात्री लापरवाही से बोला, " कोई बात नही इस मे टूटने वाली कोई चीज नही है।"
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पत्नी अपने लिए बाज़ार से एक नई ड्रैस लेकर आई तो उस ड्रैस को देखकर पति गुस्से में बोला," यह तुम क्या पारदर्शी ड्रैस उठा लाई हो, इस मे तो आर- पार सब दिखाई देता है।" पत्नी मुस्कुराकर बोली, " आप भी बडे भोले हो, भला जब मैं इस ड्रैस को पहन लूंगी तो आर- पार क्या दिखाई देगा?"
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एक युवक अपनी प्रेमिका के लिए एक अंगूठी खरीदने के विचार से ज्यूलर के शोरुम मे गया। उसने शोकेस मे रखी अंगुठी के बारे मे पूछा, इस की क्या कीमत है?
पांच हजार रुपए, सेल्जमैन ने बताया।
इतनी अधिक कीमत सुन कर युवक के मुँह से सीटी निकल गई। फिर उसने एक अंगूठी की ओर इशारा करके पूछा, इसकी? दो सीटियां- उत्तर मिला ।
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दो दोस्त बाते कर रहे थे, उस मे से पहला बोला, कमाल है शादी के 25 सालो मे तुम्हारा एक बार भी अपनी पत्नी से झगडा नही हुआ, ऐसे कैसे हो सकता है।
दूसरा ऐसा ही है, दरसल शादी के दुसरे ही दिन हमने फैसला कर लिया था कि घर के सभी छोटे-छोटे फैसले वही करेगी और बडेबडे मै।
पहला- अच्छा,क्या इस मे भी कभी झगडा नही हुआ ?
पहला- नही, आज तक कोई बडा फैसला लेने की नौबत ही नही आई
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कम्पनी बाग मे कोने की एक बैंच पर बैठे प्रेमी प्रेमिका प्रेम वार्तालाप मे मग्न थे। एकाएक प्रेमिका ने स्वाल कर दिया," रमन सच-सच बताओ कि क्या तुम शादी के बाद भी मुझे इसी तरह प्यार करते रहोगे?" प्रेमी चहक कर बोला, "बल्कि इस से भी ज्यादा क्योकि शादी शुदा स्त्रियां मुझे पहले से ही बहुत पसंद रही है।
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मरते समय पति ने अपने पत्नी को सब कुछ सच बताना चाहा । उस ने कहा " मै तुम्हे जीवन भर धोखा देता रहा। सच तो यह है कि दर्जनो औरतों से मेरे नाजायज संबंध थे।"
पत्नी बोली, "मै भी सच बताना चाहूँगी । तुम बीमारी से नही मर रहे मैने तुम्हे धीरे-धीरे असर करने वाला जहर दिया है।
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